विश्व प्रसिद्ध तीर्थ नगरी हरिद्धार में अवधूत मण्डल आश्रम (AMA) सेवा एवं पवित्रता से हरिद्धार नगरी में अपनी विशेष पहचान रखता है। यह एक प्राचीन एवं रमरीयं पुण्ड स्थल है। अवधूत मण्डल आश्रम जरूरतमंद गरीब लोगों के लिए धमार्थ अस्पताल भी चला रहा है। आश्रम में गैवशाला भी है, जिसमे हमेशा गौमाता की पूणरूप से सेवा की जाती है। आश्रम के निकट, गंगा जी के किनारे बना हुआ घाट अवधूत मण्डल घाट के नाम से जाना जाता है। आश्रम की और से संतो ब्राहम्णो, वेदपाठी विद्यार्थियों को मुक्त भोजन, रहने की सुविधा और दवाईंया प्रदान की जाती है। इस आश्रम में गो-सेवा, संत सेवा, वेदपाठी विद्यार्थी सेवा, विव्दानों की सेवा, रोगी -वृद्ध सेवा जैसे रहना, खाना कपडे, दवाई इत्यादि निःशुल्क सेवा प्रदान की जाती है।
अवधूत मण्डल आश्रम केवल दान की आय पर ही चलने वाली संस्था है। अवधूत मण्डल आश्रम (AMA) भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के अंतर्गत आयकर लाभ के लिए पंजीकृत है। अवधूत मण्डल आश्रम ISO:9001-2008 के अन्तर्गत सामाजिक सेवा और धार्मिक प्रवर्तिर्यों के लिए भी पंजीकृत संस्था है। अवधूत मण्डल आश्रम ने FCRA (फोरेन करेन्सी रेग्युलेशन एक्ट) के अंतर्गत पंजीकृत होने के लिए केंद्र सरकार में प्रस्ताव (आवेदन) भी किया है।
अवधुत मंडल आश्रम, गुरुकुल कांगड़ी (सिंहद्धार चौक) के निकट, ज्वालापुर, हरिद्धार, उत्तराखण्ड राज्य, भारत में स्थित है। हरिद्धार (उत्तराखंड राज्य की राजधानी) देहरादून से लगभग 55 किमी और (भारत की राजधानी) नई-दिल्ली से लगभग 200 किमी की दूरी पर है तथा सड़क मार्ग और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है हरिद्धार, नई दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय विमान मथक और देहरादून के राष्ट्रिय विमान मथक द्वारा आसानी से आने का मार्ग है। हरिद्धार चारधामों (यमनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ तथा बद्रीनाथ) का प्रवेश द्धार है। हरिद्धार को हरद्वार भी कहा जाता है। इतिहास के अनुसार, वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी हरद्वार को भगवान शिव को नगरी मानते है। दोनों संप्रदाय की मान्यता सही है, क्योंकि चारधाम में से दो धाम (यमनोत्री तथा बद्रीनाथ) भगवान विष्णु के है और दो धाम (गंगोत्री तथा केदारनाथ) भगवान शिव के है।
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